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सुभद्रा कुमारी चैहान के काव्य में राष्ट्रीय भावना | Original Article

Sunil Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

राष्ट्र से सम्बन्धित भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और लोक-जीवन से प्रेरित काव्य ‘राष्ट्रीय’ काव्य कह सकते हैं। अपने देह के प्रति अगाध प्रेम में, अपनी संस्कृति, सभ्यता पर्व धर्म के गौरव में देह की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक दशाओं में सुधार के प्रयत्न आदि में राष्ट्रीय भावना प्रस्फुटित होती है। ”राष्ट्रीयता की भावना एक भौगोलिक इकाई के प्रति वहाँ के वासियों की रागात्मिकता वृत्ति का प्रस्फुटन भी, एक ऐसा द्रव्य है। धर्म, राजनीति, समाजशास्त्र आदि से इसका महत्व कम से कम एक दृष्टि से निःसंदेह अधिक है।”1 परन्तु राष्ट्रीय चेतना का स्वरूप स्वतंत्रता की प्राप्ति से पहले उसकी गतिविधि, लक्ष्योद्देश्य तथा विचार दृष्टि के कारण भिन्न-भिन्न पाया जाता है। प्रस्तुत शोध पत्र में सुभद्रा कुमारी चैहान के काव्य में राष्ट्रीय भावना के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया गया है। सुभद्रा जी राष्ट्रीय चेतना की सजग कवयित्री रही है, जिसका प्रभाव उनके काव्य में झलकता है।