म.प्र. की शासकीय कृषक हितैषी योजनाओं में कृषि विभाग का योगदान | Original Article
कृषक हितैषी योजनाओं की आवश्यकता कृषि क्षेत्र में निरन्तर विकास हो इस आशय के लिए म.प्र. प्रशासन तथा केन्द्रीय प्रशासन द्वारा प्रत्येक से अलग-अलग, कृषकों को अनुदान एवं सहायता उपलब्ध कराई जाती है। प्रदेश के कृषकों को योजनाओं की जानकारी हो तथा कृषक सतत् रूप से बेहतर लाभ प्राप्त कर सकें इसके लिये कृषि विभाग जो वर्तमान में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के नाम से जाना जा रहा है, विभाग से योजनाओं की सारगर्भित जानकारी प्राप्त होना आवश्यक है। वर्ष 2014 से केन्द्रीय प्रशासन की सरकार द्वारा विभागीय योजनाओं में आंशिक तथा बड़े परिवर्तन किये हैं ताकि योजनाओं में निहित प्रावधानों को लागू करने में सरलता हो सके। शासन की अपूर्व तथा विलक्षण परिवर्धित योजनाओं की जानकारी न केवल कृषकों को बल्कि प्रदेश के कृषि अधिकारी या प्रशासकीय तंत्र व मैदानी कार्यकर्ताओं के लिये भी अत्यावश्यक तथा सहयोगी होगी। अपेक्षित नवीन शोध के उपरान्त शासकीय कृषि विभागीय योजनायें कृषकों के हित तथा विभागीय कार्यकर्ताओं को उपयोगी, हितकारी तथा अतिमहत्वपूर्ण सिद्ध हो रही हैं यह मान लेना शतप्रतिशत उचित है क्योंकि इसके प्रभावी परिणाम परिलक्षित हुये हैं। केन्द्रीय प्रशासन, राज्य प्रशासन की कृषक हितैषी योजनाओं का योगदान कृषकों, प्रशासन तंत्र अधिकारीकर्मचारी, प्रयुक्त मशीनरी मैदानी शासकीय कार्यकर्ताओं के लिये उपयोगी, लाभकारी तथा सम्बल प्रदान करने वाला है यह स्वयं सिद्ध है क्योंकि इसके अभाव में जनकल्याण या विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।[1] शासन की कृषक हितैषी योजनायें - केन्द्रीय शासन तथा राज्य प्रशासन द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली योजनायें, दी जाने वाली सुविधाओं में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन तथा योजनाओं का निर्माण किया जाता रहता है। समयानुसार योजनाओं का परिमार्जन अत्यावश्यक होता है। विधि अनुसार योजना निर्माण तथा सुधार किया जाना कृषि विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करना लाभकारी है।[2] संचालित योजनायें - शासन की अनेक कृषक हितैषी योजनायें किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा संचालित हैं। मृदा (मिट्टी) परीक्षण योजना[3], म.प्र. में जैविक खेती विकास कार्यक्रम[4], अन्नपूर्णा योजना (राज्य पोषित योजना)[5], सूरजधारा योजना (राज्य पोषित योजना)[6], नलकूप खनन (राज्य पोषित योजना)[7], राज्य माइक्रोइरीगेशन मिशन[8], बलराम तालाब योजना[9], मुख्यमंत्री विदेश अध्ययन यात्रा[10], मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना[11], म.प्र. कृषि में महिलाओं की भागीदारी योजना (मापवा)[12], किसान मित्र प्रशिक्षण योजना[13], बैलगाड़ी क्रय पर अनुदान योजना, सूचना संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि विस्तार[15], राष्ट्रीय बीमा योजना[16], कृषि जलवायु क्षेत्र हेतु पायलट प्रोजेक्ट[17], कृषि उत्पादन वृद्धि के लिए सूचना एवं संचार कार्यक्रम[18], प्रदेश में गुण नियंत्रण तथा परीक्षण हेतु प्रयोगशालायें[19], केन्द्र प्रवर्तित योजना[20], संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी की प्रमुख योजनायें[21], मिट्टी स्वास्थ्य, मिट्टी संरक्षण तथा उर्वरक[22], सिंचाई[23], किसानों के लिए प्रसार एवं प्रशिक्षण[24], मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी[25], कृषि ऋण[26], पौध संरक्षण[27], कृषि विपणन[28], एकीकृत कृषि[29], बीज[30] आदि।