भारत में महिलाओं के मानव अधिकारों का हनन एवं प्रस्थिति | Original Article
मानवाधिकार का आश्य उस न्यूनत्तम स्वतंत्रता से है, जो व्यक्ति को मिलनी चाहिए, क्योकि वह मनुष्य है। आधुनिक काल में मानव-अधिकारों से संबधित दो अवधारणाएं प्रचलित है- 1. उदारवादी अवधारणा- इस अवधारणा की मान्यता है कि मनुष्य के मूलभूत अधिकारों की पूर्ण सुरक्षा होनी चाहिए ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने पूर्ण विकास की दिशा में आगे बढ़ सके, सामाजिक उद्देश्यों और लक्ष्यों की पूर्ति में अपना योगदान दे सके तथा सम्मानपूर्वक सुसंस्कृत जीवन-यापन कर सके। इस अवधारणा को मानने वाले में ग्रेट ब्रिटेन, अमेरिका तथा अन्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से युक्त देश शामिल है। 2. मार्क्सवादी अवधारणा- इस अवधारण के अनुसार संविधान में दिए नागरिक अधिकार सैद्धातिक है, व्यावहारिक नहीं। मार्क्सवादी अवधारणा केवल संविधान में उल्लिखित नागरिक अधिकारों की व्याख्या करने में विश्वास नहीं रखती वरन् उनका प्रयोग किस प्रकार से किया जाए, उनमें विश्वास करती है।