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वैश्विक पटल पर हिन्दी के प्रसार में विश्व हिन्दी सचिवालय की भूमिका | Original Article

Darshana Devi*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

आज के इस वैज्ञानिक युग में प्रत्येक देश संसार के अन्य देशों से अपने सम्बन्ध स्थापित करने में लगा हुआ है। वैश्वीकरण के इस युग में प्रत्येक देश अन्य दशों से व्यापार, रक्षा, चिकित्सा, शिक्षा आदि क्षेत्रों में सूचनाओं का आदान प्रदान कर रहे हैं। इसलिए प्रत्येक देश अन्तर्राष्ट्रीय संदर्भ में अपनी-अपनी भाषा में कार्य करना चाहता है। वर्ष 1991 के बाद जैसे ही भारत सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था को शेष विश्व के देशों के लिए खोला तो अनेक यूरोपीय देशों ने यहां अपना जाल फैलाना आरम्भ कर दिया। आज भारत का विदेशी व्यापार बहुत अधिक बढ़ गया है। जैसे-जैसे शेष विश्व के दशों से हमारा व्यापार बढ़ता गया. हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी का विकास भी उसी के साथ-साथ बढ़ता चला गया। आज संसार के अधिकांश देशों में हिन्दी भाषा के बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आज चीन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, जापान आदि विकसीत देशों में हिन्दी का प्रचार-प्रसार बहुत अधिक बढ़ गया है। संसार के प्रत्येक कोने में हिन्दी भाषी लोग रह रहे हैं। हिन्दी के इस वैश्विक प्रसार में अनेक शैक्षिक संस्थानों, व्यापार केन्द्रों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।