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गिरिराज किशोर के साहित्य में सामंती व्यवस्था | Original Article

Deepak .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

सामंती व्यवस्था हमारे समाज में बहुत ही प्राचीन है। इसी व्यवस्था के कारण समाज का निचला तबका उभर नहीं पाया। सामंत राजा और जनता के बीच की कड़ी होते थे। राजा अपने राज्य को कई सामंतो में बाँटता था। जिस सामंत जनता पर अपनी मनमानी चलाते थे। सामंती व्यवस्था में कुछ चुने हुए लोग बिना किसी श्रम के भूमि से जीविकोपार्जन करते थे। इन्ही लोगों का समूह सामंत वर्ग के नाम से जाना जाता था। इन सामंतो की कई श्रेणियाँ होती थी। जिनमें ऊपर के स्थान पर राजा तथा उसके नीचे विभिन्न कोटि के सामंत होतें थें और सबसे नीचे किसान या दास होते थे।