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नासिरा शर्मा के उपन्यास ‘पारिजात’ में बिखरते रिश्तों का सच | Original Article

Rajni Sharma*, Gyani Devi Gupta, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

जब भी दुनिया में सांस्कृतिक एकता के इतिहास की बात होती है तो भारत का जिक्र होना लाजमी ही है। यहां के संस्कारों में दो संस्कृतियां यूं घुली-मिली हैं मानो दोनों एक दूसरे की पूरक हों। पारिजात उपन्यास नासिरा शर्मा की एक ऐसी ही कृति है जो गंगा-जमुनी संस्कृति को परत-दर-परत खोलती और मानवीय रिश्तों की बुनावट को भाषा के एहसासों से पाठक के अंदर जीवंत करती है। पारिजात आज की पीढ़ी के सपनों, उसके निर्णय, माता-पिता के प्रेम, स्त्री की भारतीय और पाश्चात्य छवि के साथ गुरु-शिष्य के संबंधों और एक समुदाय विशेष के प्रति पाश्चात्य पूर्वाग्रह से घायल समाज जैसी संवेदनाओं को एक नए फलक में तर्कों के साथ बयां करता है।