भारतीय विदेश नीति: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उद्देश्य | Original Article
किसी भी देश की विदेश नीति एक विशिष्ट आंतरिक व बाह्य वातावरण के स्वरूप द्वारा काफी हद तक निर्धारित होती है। इसके अतिरिक्त इतिहास, विरासत, व्यक्तित्व, विचारधाराएँ, विभिन्न सरचंनाओ आदि का प्रभाव भी विदेश नीति पर स्पष्ट रूप से पड़ता है। भारत की विदेश नीति इस स्थिति का अपवाद नहीं है। भारत की विदेश नीति को सही दिशा में समझने के लिए ऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन करना आवश्यक है। पंडित नेहरू जी ने उचित कहा है कि यह नहीं समझना चाहिए कि भारत ने एकदम नऐ राष्ट्र के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया है अपितु भारत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है।1 ऐतिहासिक विदेश नीति की पृष्ठभूमि की उत्पत्ति का कारण भारतीय संस्कृति में प्रचलित दो परंपराओं से मानते है। प्रथम विचार मित्रता, सहयोग, अंहिसा इनका विकास महात्मा बुद्ध व गाँधी के विचारों से मानते है और दूसरा विचार पाश्चात्य विचारकों विशेषकर मैकयावली की विचारधारा से मेल खाती हुई कौटिल्य की परम्परा रही है। इसके साथ-2 वर्तमान समय में भारतीय राष्ट्रीय काग्रेंस की भूमिका व स्वतंत्रता आंदोलन के अनुभवों को भी आज की विदेश नीति की मुख्य पृष्ठभूमि माना जाता है।