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भारत में केन्द्र राज्य संबंन्ध: तनाव के कारण व सुझाव | Original Article

Naseeb .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारतीय संविधान अपने स्वरूप में संघीय है। समस्त शक्तियाँ जैसे-विधायी, कार्यपालक एवं वित्तीय केंन्द्र व राज्यों के मध्य विभाजित है। यद्यपि न्यायिक शक्तियों का बंटवारा नहीं है। संविधान में एकल न्यायिक व्यवस्था की स्थापना की गई है। जो केंद्रीय कानूनों की तरह राज्य कानूनो को भी लागू करती है। तथापि संघीय तंत्र के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इनके मध्य अधिकतम सहयोग व सहभागिता आवश्यक है। केंन्द्र व राज्यों के बीच अनेक क्षेत्रों में तनाव देखें जाते है। जो संघात्मक शासन के लिए गंभीर चुनौती है। केन्द्र व राज्य दोनों संविधान से शक्तियां ग्रहण करते है। ये दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र है। पंरन्तु फिर भी शक्तियों के प्रयोग के दौरान कुछ तनाव उभर आते है। जिनका समुचित समाधान जरूरी है। ताकि केन्द्र व राज्य संबंध सुचारू रूप से संविधान के अनुसार क्रियाशील होते रहें।