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महाकवि सूरदास का वात्सल्य-वर्णन | Original Article

Nishim Nagar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

सूरदास की जन्मभूमि के सम्बन्ध में अनेक मत प्रचलित हैं। सूरदास की जन्मभूमि के सम्बन्ध में निम्नलिखित स्थानों की चर्चा हुई है-गोपाचल (ग्वालियर), मथुरा प्रांत का कोई ग्राम, रुनकता (आगरा), सीही (वल्लभगढ़), सीही (आगरा) पारसौली आदि। ‘चैरासी वैष्णवन की वार्ता’ श्री हरिराय कृत ‘भाव प्रकाश’ में सूरदास का जन्म स्थान दिल्ली के पास ‘सीही’ नामक ग्राम को स्वीकार किया गया है।4 यहाँ पुष्टिमार्गीय हरिराय जी के मत को प्रस्तुत करना उचित होगा। यथा- ‘‘दिल्ली के पास चार कोस उरे में एक सीही ग्राम है, जहाँ परीक्षित के बेटा जन्मेजय ने सर्प-यज्ञ किया था।5 दीनदयालु गुप्त, सत्येन्द्र, द्वारकादास पारीख और प्रभुदयाल मित्तल, हरवंशलाल शर्मा प्रभृति विद्वानों ने ‘सीही’ ग्राम को ही जन्म-स्थान स्वीकार किया है। यह ग्राम वल्लभगढ़ (हरियाणा) के अन्तर्गत आता है।’