महादेवी वर्मा का काव्य और गीति-सौष्ठव | Original Article
हिन्दी की छायावादी काव्य-धारा के आधार-स्तम्भों में ‘प्रसुमनि’ (प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी, निराला) कवियों का विशेष योगदान रहा है। महादेवी के काव्य में एक साथ गीति, प्रणय, वेदना, दुःख, करुणा, रहस्यवाद, छायावाद, सर्वात्मवाद इत्यादि के दर्शन किये जा सकते हैं। छायावाद की सम्यक् पहचान इनके काव्य में हो जाती है।