Article Details

महादेवी वर्मा का काव्य और गीति-सौष्ठव | Original Article

Vinod Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

हिन्दी की छायावादी काव्य-धारा के आधार-स्तम्भों में ‘प्रसुमनि’ (प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी, निराला) कवियों का विशेष योगदान रहा है। महादेवी के काव्य में एक साथ गीति, प्रणय, वेदना, दुःख, करुणा, रहस्यवाद, छायावाद, सर्वात्मवाद इत्यादि के दर्शन किये जा सकते हैं। छायावाद की सम्यक् पहचान इनके काव्य में हो जाती है।