अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर विज्ञान और तकनीकी का प्रभाव | Original Article
प्रत्येक व्यक्ति मानव जाति का अभिन्न अंग है और यही मानव जाति अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का ताना-बाना तैयार करती है। इस सत्य को जितनी तीव्रता से इस युग में महसूस किया जा रहा है उतना शायद पहले कभी नहीं किया गया। सहयोग, घृणा और प्रेम मानव जाति के स्वभाव के अविभाज्य अंग है। याद रखना होगा कि स्वयं मानव जाति की नियति प्रत्येक व्यक्ति की नियति से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। यह उसकी अपनी नियति भी है। यही वह चीज है जो इस बात को आवश्यक बनाती है कि भावी जगत में वह “विश्वव्यापी सहृदयता” हो जिसे मानववाद कहते हैं और जो अहंवाद व मतांधतावाद के हर सम्भावों की प्रतिस्थापना करता है और हमें इस बात का गर्व है कि हाल के वर्षों में कई मामलों में तथा भू-मण्डलीय समस्याओं के प्रभाव से आधुनिक मनुष्य की चेतना में एक बदलाव हुआ है, उसके मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं तथा लाक्षणिक है कि मानवतावादी और सामाजिक ध्येयों की प्राथमिकता अधिकाधिक स्पष्ट होने लगी है और एक संकीर्ण अर्थ में विज्ञान तथा तकनीकी अनुसंधान भी इसमें सम्मिलित है।