उदयभानु हंस जी की गजलों में प्रेम भावना | Original Article
उदयभानु हंस जी की गजलों में प्रेम संबंधी संवेदना स्वाभाविक है। किसी भी वस्तु के प्रति आकर्षित होना मानव मन की सहज प्रक्रिय है, जो प्रेम में बदल जाती है। प्रत्येक कवि इसे अपने काव्य में उतारता है। उदयभानु हंस जी ने भी इसे अपने काव्य में उकेरा है। वैसे तो समकालीन कवियों ने मनुष्य के बेबसी, निराशा, कुण्ठा, और भय आदि को वर्णित किया है लेकिन काव्य में पाठक की रूचि को बढ़ाने के लिए प्रेम को अपने काव्य में समाहित किया है। कविता की जादुई शक्ति से कवि अपनी कविताओं में एक मासूम सा सुंदर और सम्मोहक संसार रचते हैं। जिसमें प्रेमनिष्ठ संवेदना को स्थान मिला है। उन्होंने जीवन को अपने आप में सुंदर बताया है।