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सर्वोदय आन्दोलन का विश्लेषणात्मक अध्ययन | Original Article

Roshan Nain*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारतीय परम्परा तथा संस्कृति से दूर न भागते हुए तथा नवीन आदर्शों से दूर न भागते हुए, समाज सुधार व सर्वांगीण उन्नति महात्मा गांधी के आदर्शों का आधार है। इसी आदर्श का मूर्त रूप सर्वोदय आन्दोलन है। सर्वोदय से हमारा अभिप्राय गांधीवादी विचारधारा से है। समाज को बदलने के लिए भारत में बहुत से लोगों ने विचार व्यक्त किये है, लेकिन समाज को कैस बदलना चाहिए उसके बारे में कोई मतैक्य नहीं है। गांधीवादियों की एक विचारधारा सर्वोदय है। भारत की आजादी के लिये जो गांधीजी ने आन्दोलन चलाया, उसमें सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचार प्रस्तुत किये। लोगों का यह मानना था कि भारत की स्वतंत्रता के बाद गांधी विचारधारा के आधार पर नये समाज की स्थापना होगी, लेकिन जब सरकार बनी, उसने अपने तरीके से कार्य करना प्रारम्भ किया तथा उसने समाजवाद पर अधिक जोर दिया जो न तो पूर्णत्या माक्र्सवादी था और न ही गांधीवादी। इस प्रकार इन दोनों का मिश्रण समाजवाद के नाम पर भारत में अपने लगा।