“अमृतसर आ गया है” कहानी में देश विभाजन से उपजी साम्प्रदायिकता | Original Article
“अमृतसर आ गया है” भीष्म साहनी द्वारा रचित एक बहुचर्चित कहानी है जो भारत पाक विभाजन के परिदृश्य को प्रस्तुत करती है। विभाजन की घोषणा के उपरांत भड़की साम्प्रदायिकता की भावना को साकार रूप देने का एक सफल प्रयास साहनी जी ने अपनी “अमृतसर आ गया है” कहानी में बखूबी किया है। विभाजन के समय जो चिन्गारी लोगों के हृदय में सुलग रही थी वह साम्प्रदायिकता दंगो के रूप में सामने आई। कहानी में भीष्म जी ने एक रेलगाड़ी का वर्तमान पाकिस्तान के किसी शहर से निकलकर अलग- अलग स्टेशनों से होते हुए अमृतसर पंहुचने तथा इस रेलयात्रा के दौरान होने वाले तनाव, विवाद को छोटी- छोटी घटनाओं के द्वारा दर्शाया है। जैसे-जैसे रेलगाड़ी आगे की ओर बढ़ती है, वैसे-वैसे तनाव बढ़ता जाता है। कुछ पठान यात्रियों द्वारा हिन्दू यात्रियों के उपहास व दुर्व्यवहार को इस कहानी में प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया है। विभाजन की त्रासदी ने लाखों लोगों को भावनात्मक और विचारात्मक धरातल पर ही नही बल्कि मनोवैज्ञानिक तथा आत्मिक स्तर पर भी प्रभावित किया।