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‘स्त्रीत्व’ को गढ़ती महिला पत्रिकायें | Original Article

Arvind Kumar Mishra*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

स्त्रीत्व को गढ़ने में महिला पत्रिकाओं की भूमिका को लेकर भारत में शायद ही कभी शोध हुआ होगा। मीडिया के अन्य माध्यमों पर नारीवादी दृष्टिकोण से विमर्श हुआ है लेकिन महिला पत्रिकाओं की भूमिका पर अकादमीय शोध न होना हैरत में डालता है। नारीवादी अध्येताओं ने जेंडर विभेदीकरण और महिलाओं के अधीनीकरण पर अच्छा खासा विमर्श प्रस्तुत किया है। अब यह एक स्थापित तथ्य बन चुका है कि जेंडर विभेदीकरण प्राकृतिक नहीं वरन् सामाजिक व सांस्कृतिक पहलुओं से संबंधित होते हैं।