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हिन्दी व्याकरण को पं. किशोरी दास वाजपेयी की देन | Original Article

Neelam Kumari*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

हिन्दी व्याकरण के क्षेत्र में पं॰ किशोरीदास वाजपेयी नवीन चेतना के अग्रदूत बनकर आये। वे इस बात की घोषणा करनेवाले प्रथम वैयाकरण हैं कि हिन्दी एक स्वतंत्र भाषा है, वह संस्कृत से अनुप्राणित आवश्यक है, जैसे अन्य भारतीय भाषाएँ परन्तु वह अपने क्षेत्र में सार्वभौम सत्ता रखती है। यहाँ उसके अपने नियम कानून लागू होते है। संस्कृत का सब कुछ आँख बन्द करके हिन्दी न ले लेगी। उसमें संस्कृत या अन्य भाषओं में आनेवाले शब्द उसकी अपनी प्रजा है। उन पर वह अपने नियमों से शासन करेगी।1