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तुलसीदास की प्रासंगिकता | Original Article

Bajinder Singh*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

तुलसीदास रामकाव्य धारा के प्रवत्र्तक कवि हैं और सगुणोंपासक शाखा से सम्बन्धित हैं। राम काव्य परम्परा को उत्कृट एवं गौरवशली स्थान दिलाने का श्रेय अवधी और ब्रज के महाकवि तुलसीदास को ही प्रमुख रूप से जाता है। महर्षि वाल्मीकि ने अपने महान ग्रन्थ ‘रामायण’ में जिस ‘नर’ राम की कथा का वर्णन किया है, तुलसी ने उसी ‘नर’ राम की कथ को ‘नारायण’ की कथा में परिवर्तित कर दिया। मध्यकाल में सगुण शाखा के अन्तर्गत आने वाली रामकाव्य हारा को दास्यभक्ति के माध्यम से पुष्पित तुलसीदास द्वारा किया गया। भगवान श्री राम को अपना आराध्य मानकर अनन्य भाव की भक्ति तुलसी ने की थी, जिसका चिरकाल तक स्मरण किया जाएगा।