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महिला सशक्तिकरण एवं महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता का अध्ययन | Original Article

Renu Bala*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताष्। भारतीय संस्कृति में नारी सदा ही शक्ति का प्रतीक मानी जाती रही है। हमारे ऋषियों की मान्यता थी, कि जहाँ नारी को समुचित सम्मान मिलता है, वहाँ देवता निवास करते है। वैदिक काल की ऋषिकांए हो, चाहे उन्नीसवीं एवं बीसवीं सदी की क्रान्तिकारी महिलाएं, ये नारी शक्ति के विभिन्न रूप है। परन्तु फिर भी उसे समाज में पितृसत्तात्मकता के कारण पुरूषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हुए। भारतीय नारी आज भी वह नर की छाया नारी, चिरनमित नयन, पद विजड़ित, स्थापित घर के कोने में, वह दीपशिखा सी कंपित। आज हम स्मृतियों से संविधान तक आ गए है, जहाँ कि प्रत्येक क्षेत्र में नारी को पुरूषों के समान अधिकार प्रदान किए गए है। इन अधिकारों की क्रियान्विति के लिए महिलाओं को सशक्त करना आवश्यक है। सरकार द्वारा भी विभिन्न कार्यक्रमों एवं नीतियों के माध्यम से राजनीति में महिला सहभागिता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे है। महिलाओं में अपने राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूकता व राजनीतिक सशक्तीकरण न केवल महिलाओं के विकास के लिए जरूरी है, बल्कि उनकी रचनात्मक क्षमता की सुलभता सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और इसके बिना देश निरन्तर विकास के पथ पर प्रगति नहीं कर सकता। महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता एवं सशक्तीकरण के लिए उन्हें शिक्षित करना आवश्यक है, परन्तु क्या महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है।