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भारतीय धर्म और दर्शन में गाँधी जी के आर्थिक विचार | Original Article

Karamvir Singh*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

गांधी जी ने आर्थिक अवधारणा का वर्णन करते हुए सार्वजनिक रूप से घोषित किया कि ‘‘यह अवधारणा धर्म और दर्शन से बन्धी हुई है। भारतीय धर्म और दर्शन में संरक्षकता के विचार माना गया है। प्राचीन भारतीय राजा वास्तविक रूप से गरीबों की आर्थिक रूप से सहायता करते थे। राजा रामचन्द्र दयालुता की एक मिशाल थे। उनके रामराज्य में सभी समान थे। सभी के लिए यह मूल्यावान और जरूरी था। बल्कि राम जब जवान थे तब उनके पिता जी ने दानवों को दण्ड देने के लिए भेजा गया। जो देवताओं और महात्माओं को परेशान कर रहे थे। तब राम ने दानव को मारकर उन सब की रक्षा की थी।