Article Details

फांस उपन्यास में कर्ज में डुबे किसान का अभाव ग्रस्त जीवन: एक दृष्टि | Original Article

Mahipal .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

किसान जीवन पर लिखा गया उपन्यास गोदान एक प्रकार से महाकाव्य माना जाता है। प्रेमचन्द जी ने तातकालीन कृषक के जीवन को यथार्थ चित्रण किया है। इसी कड़ी मे संजीव जी ने फाँस उपन्यास की रचना की जिसका केन्द्र बिन्दू भी किसान को रखा गया है। जो 21 वीं शताब्दी के किसान जीवन का बङा सटीक वर्णन करता है। उन्होंने दिखया दिखया है किसान किस प्रकार अपने परिवार की आधार भूल जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पता देश व संसार का भरण-पोषण करने वाले किसान के लिए खेती हमेशा से ही धारे का सौदा रही है वर्तमान समय में तो यह फाँस बन गई है, जो धीरे-धीरे उसे मौत की तरफ धकेल रही है। किसान कर्ज लेकर अपने परिवार को भरण-पोषण करता है। बङी कठिनाई से अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर पाता है। वहीं दूसरी तरफ उदारीकरण और वैश्वीकरण के दौर ने तो किसान को अपंग बना दिया है। किसान कर्ज लेकर फसल उगाता है और जब वह अपनी फसल बाजार में लेकर जाता है, तो वहाँ भी उसकी दुर्दशा ही होती है। किसान कर्ज लेता है फिर भी कङा मेहनत करता है परन्तु उसका पुरा जीवन अंभावगस्त चला जाता है और अन्त में अपने उत्तराधिकारी के लिए वह कर्ज हो छोङ कर जाता है। संजीव जी ने अपने उपन्यास में इसका वर्णन किस प्रकार किया है “उसी प्रसंग मैं हम किसान जीवन में बढने वाले कर्ज और उनके अभावों में जीवन पर एक दृष्टि डाल रहे है।