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उदय प्रकाश के साहित्य में राजनीति | Original Article

Poonam .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

समाज के संचालन में राजनीति महत्वपूर्ण कारक मानी जाती है। राजनीति आज वैयक्ति जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है। समाज एवं व्यक्ति से संबधित होने के कारण यह साहित्य को भी प्रभावित करती है, यह स्वाभाविक है कि साहित्यिक रचनाओं में राजनीति समाहित हो जाती है। प्रत्येक साहित्यकार स्वभाव से भावुक होता है। इसलिए वह राजनीतिक विचारों, भावों से अपनी आँखें नहीं फेर सकता है। प्राचीन और आधुनिक राजनीति में काफी अन्तर देखने को मिलता है। प्राचीन राजनीति अर्थ- राज करने की नीति अथवा पद्धति। आधुनिक राजनीति का अर्थ बदल चुका है। आज भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, मारकाट, चापलूसी, अन्याय, व्यक्ति के नैतिक मूल्यों का हनन, स्वार्थपूर्ति आधुनिक राजनीति के पर्याय बन चुके हैं। साहित्य समाज से संबंधित होने के कारण राजनीति से भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित होता है। राजनीति के बिना राष्ट्र का संगठित रहना असभंत है। समाज तथा राष्ट्र इसी से संचालित होते है।