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आशुतोष जी की कहानियों में शिल्प विधि | Original Article

Mahipal .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

आशुतोष हिन्दी कहानी के सुपरिचित किस्सागों हैं। इनकी कुछ कहानियों का तेलगु और अंग्रेजी मैं भी अनुवाद हो रहा है। खाप में इनकी कहानियों की किताब ‘मरे तो उम्र भर के लिए’ भारतीय ज्ञान पीठ नई दिल्ली से प्रकाशित है। इनकी कहानियों का एक अन्य संग्रह ‘उम्र पैंतालीस बतलाई गई थी।’ यथार्थ को दर्शाता एक दहकता दस्तावेज है। आशुतोष जी ने अपनी कहानियों में समय एवं स्थान के अनुसार भाषा का प्रयोग किया है। जिसके कारण इनकों कहानियों में सजिवता अपने आप आ जाती है। कहानियों में भाव समग्रता के साथ-साथ भाषा का इस ढ़ग से प्रयोग किया जाता है जिसके कारण पाठक की जिज्ञासा निरंतर बनी रहती है आशुतोष जी ने अपनी उकहानियों में आर्थिक भावों को व्यक्त करते हुए समाज का यथार्थ रूप पाठक के सामने रखा है। आशुतोष जी लेखन की हर कला में दक्ष हैं जैसे भावों की सबलता बनाए रखना पाठक के मन में जिज्ञासा बनाए रखना आदि। लेकिन इन्होने अपनी कहानियों में जिस शिल्प बिधि का प्रयोग किया है उस से मैं बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ हूँ। आशुतोष की शिल्प विधि पर प्रकाश डालने से पहले हमें शिल्प के बारे में जान लेना अत्यन्त आवश्यक है।