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समाज और साहित्य का सम्बन्ध | Original Article

Manoj Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

साहित्य और समाज का घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। साहित्यकार समाज में रहते हुए ही अपने साहित्य का सृजन करता है। बगैर समाज के, “साहित्यकार का क¨ई महत्व नहीं है। एक साहित्यकार समाज में विशेष परिवेश में रहकर समाज में क्या घटित हो रहा है, वह सब अपनी रचनाओं में व्यक्त करता है। साहित्य के जिन व्यक्तिक सुख-दुःख, राग-विराग, हास-विलास एवं सफलता-असफलता आदि का चित्रण होता है। वे सब समाज से ही पनपे हैं।