समाज और साहित्य का सम्बन्ध | Original Article
साहित्य और समाज का घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। साहित्यकार समाज में रहते हुए ही अपने साहित्य का सृजन करता है। बगैर समाज के, “साहित्यकार का क¨ई महत्व नहीं है। एक साहित्यकार समाज में विशेष परिवेश में रहकर समाज में क्या घटित हो रहा है, वह सब अपनी रचनाओं में व्यक्त करता है। साहित्य के जिन व्यक्तिक सुख-दुःख, राग-विराग, हास-विलास एवं सफलता-असफलता आदि का चित्रण होता है। वे सब समाज से ही पनपे हैं।