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हिन्दी कविता में राष्ट्रीय चेतना | Original Article

Ramita Devi*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

राष्ट्र के प्रति अपनत्व तथा अगाध प्रेम की भावना ही राष्ट्रीयता कहलाती है। आज राष्ट्रीयता एक प्रबल शक्ति एवं प्रभावशाली प्रेरणा है। राष्ट्रीयता का संबंध केवल जड़भूमि से न होकर आंतरिक होता है। अपने देश के अगाध प्रेम में अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं धर्म के प्रति गौरव में, अपने देश की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक दशाओं में सुधार के प्रयत्न आदि में वह राष्ट्रीय भावना प्रस्फुटित होती है। राष्ट्रीयता की भावना व्यक्ति को अपने राष्ट्र के लिए उच्च कोटि के शौर्य तथा बलिदान के लिए प्रेरणा देने वाली सामूहिक भावना की एक ऐसी उच्चतम अभिव्यक्ति है जिसका इतिहास-निर्माण में बहुत बड़ा हाथ है। राष्ट्रीयता की भावना एक मानसिक अनुभूति अथवा मन की एक स्थिति है।