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हिन्दी राष्ट्रभाषा की सार्थकता एवं उसके प्रेरक तत्त्वों का अध्ययन | Original Article

Niraj .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

राष्ट्रभाषा देश का सम्मान, देश का अभिमान, देश की एकता की पहचान राष्ट्रभाषा महान है। हमारे देश की राष्ट्रभाषा के नाम पर प्रयुक्त होने वाली भाषा के रूप में अगर कोई भाषा समर्थशाली है तो वह है हिन्दी भाषा। 30 अक्तूबर 1949 को हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का सम्मान और गौरव प्रदान किया गया है। इसे राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना इसकी योग्यता एवं क्षमता के अनुरूप हैं। देश के लगभग 70 प्रतिशत लोग इसी भाषा का प्रयोग करते हैं। देश का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां हिन्दी भाषा नहीं है। यही नहीं, विदेशों के अधिकांश क्षेत्रों में भी हिन्दी भाषी लोग हैं। हमारे देश में हिन्दी भाषी राज्यों उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में भी हिन्दी भाषी व्यक्तियों की संख्या अधिक है। ये हिंदी के प्रेमी, भक्त और समर्थक है। प्रभाकर माचवे जैसे अहिंदी भाषी क्षेत्र के होते हुए भी हिंदी के लोकप्रिय लेखक है। भारत में अनेक भाषाओं के होते हुए भी हिंदी का अपना महत्त्व है। हिंदी भारत की आत्मा में बसी हुई है, जो हर प्रदेश में जानी पहचानी जाती है। विविधता में एकता भारत जैसे बहुभाषी, बहुपंथी और बहुरंगी देश की सबसे बड़ी शक्ति रही है। इस शक्ति का एक स्रोत हिन्दी भाषा ही है। समूचे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोकर ऐसा स्रोत बनाने का सौभाग्य हिंदी को ही रहा है। हिंदी नाना प्रकार की विधाओं, कलाओं और संस्कृतियों की त्रिवेणी बनाती है। हिंदी में पुरातन भारतीय परम्पराओं की अभिव्यक्ति के साथ ही आधुनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की भी अपूर्व क्षमता है। हिंदी भाषा भारत देश की आम भाषा है। भारत के हृदय का उद्गार है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का कथन है, “राष्ट्रभाषा का प्रचार करना मैं राष्ट्रीयता का अंग मानता हूँ। हिंदी राष्ट्रीय एकता की भाषा है। हिंदी भारत माता के ललाट की बिंदी है।“ हिंदी भाषा बहुत ही सही, प्रेरक है। इस भाषा के माध्यम से अपने देश का विकास सचमुच संभव है। इस राष्ट्रभाषा को प्रणाम करती हूँ।