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भीष्म साहनी के साहित्य में नारी-चेतना: राष्ट्रीय सन्दर्भ | Original Article

Promila .*, Govind Dwivedi, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

नारी प्रकृति रूपा है, प्रकृति परमपुरुष की इच्छा का प्रतिफलन है।प्रसिद्ध है कि जगन्नियता को जब एकाकी रमने में कुछ ऊब सी हुई तो वे स्वकीयइच्छा-शक्ति से एक से दो हो गए। उस तरह से प्रकृति की सुरुचिपूर्ण रमण सृष्टिहै। वह पुरुष की पूरक है। उसे आदिकाल से ही समस्त सृष्टि की संचालिकाशक्ति माना जाता है। नारी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। नारीके संयोग से ही संसार आगे बढ़ता है।