राष्ट्रीय रक्षा नीति का उदय एवं विकास | Original Article
“इतिहास इसका प्रमाण है कि प्रत्येक सभ्यता में एक प्रभावी व श्रेष्ठ शक्ति रही है। यह श्रेष्ठ शक्ति विकसित करने के पीछे रक्षा विषयक धारणा का प्रमुख स्थान रहा है। यदि इस श्रेष्ठ शक्ति को अन्य किसी राज्य ने चुनौती दी तो इनमें युद्ध उस समय तक हुआ है जब तक यह शक्ति प्रायः नष्ट नहीं हो गई।” “विश्व के सभी साम्राज्यों का उत्थान और पतन शक्ति से हुआ है। राज्य पर पड़ने वाले संकट का सामना यदि सैन्य शक्ति बल की दृष्टि से निर्बल हो तो विनाश व विघटन निश्चित होता है। राज्यों को विरस्थायी स्वरूप प्रदान करने की कामना ने ही राष्ट्रों की रक्षा के विकास की राह दिखाई है।”