Article Details

व्यंग्य और साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन | Original Article

Chander Mohan*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

सामाजिक उद्धेश्यों को ध्यान में रखते हुए साहित्य सृजन करने वाला साहित्यकार सहृदय वाला होता है। वह समाज की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझकर अपनी अनुभूति को शब्द वाणी के माध्यम से तटस्थता से व्यक्त करता है। समाज के यथार्थ रूप को चित्रित करते हुए आदर्श रूप को भी अपनाता है। साहित्य मानव-समान के विविध भावों एवं नित नवीन रहने वाली चेतना की अभिव्यक्ति है। साहित्य का सफर किसी भी व्यक्ति के लिए सुगम नहीं होता। उसे विविध परिस्थितियों से जुझना पड़ता है। इसी साहित्य कर्म को और अधिक रोचक बनाने में व्यंग्य भी अपनी भूमिका निभाता है।