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‘बोलो मेरे राम’ दोहा-संग्रह में राजनीतिक यथार्थ | Original Article

Santosh Kumari*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

साहित्यकार समाज का दीपक होता है जो स्वयं जलते हुए ज्ञान रूपी प्रकाश से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करता हैं। ऐसे ही साहित्यकारों में डॉ. रामनिवास ‘मानव’ का नाम आता है। उन्होंने अपनी अनेक रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य में योगदान दिया है। आधुनिक युग को राजनीति में विश्व-व्यापक गतिविधि के रूप में जाना जाता है। मानव इतिहास में एक युग वह भी था, जब जनसाधारण का राजनीति से किसी प्रकार का प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता था और राजनीति शाहोंमहलों तक ही सीमित रहती थी मगर आज राजनीति का स्वरूप बदल गया है आज के युग में शायद ही कोई व्यक्ति हो जो राजनीति से अछूता हो। डॉ. ‘मानव’ का विचार है कि राजनीति में रूचि न रखने वालों से भी राजनीति जुड़ी हुई है। आज राजनीति का क्षेत्र बहुत ही व्यापक हो गया है।