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सभ्यता, संस्कृति और पॉपुलर संस्कृति का अंतर्संबंध | Original Article

Naveen Raman*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

‘पश्चिमी सभ्यता’ शब्द का प्रयोग होने के साथ ही संस्कृति को दो अलग-अलग रूपों में अलगाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी। एक उनकी संस्कृति जिनके हाथ में सत्ता है और दूसरे वे लोग जिनके हाथों में सत्ता की कोई ताक़त नहीं है। जिनके हाथ में सत्ता रही उनके विश्वासों को, मान्यताओं को, रूचियों और जीवन शैली को कैपिटल सी ‘C’ के तहत विश्लेषित किया गया। संस्कृति के इस रूप को सामाजिक चिह्नों के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की गयी। इसके माध्यम से यह साबित करने की कोशिश की गयी कि जो व्यक्ति सुसंस्कृत होगा, उसे कौन सी किताबें बेहतर है, किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए, पूजा-प्रार्थना करने की कौन-सी पद्धति होती है, सामाजिक जलसों में किस तरह से व्यवहार करने चाहिए आदि बातों की समझ होगी। यह वही सामाजिक चिह्न हैं जिसे कि पेयरि बौद्रिंआ ने कल्चरल कैपिटल (Cultural Capital) यानी सांस्कृतिक पूँजी कहा।