अद्वैतवेदान्त के अनुसार जगत् का उपादान | Original Article
अद्वैतवेदान्त में दो ही कारण हैं- उपादान और मिमित्त। ब्रह्म ही जगत् का उपादान कारण है और ब्रह्म ही उसका निमित्तकारण भी। वैतन्य पपक्ष की दृष्टि से वह निमित्त कारण है और माया की दृष्टि से ब्रह्म ही जगत् का उपादान कारण है। अर्थात् जब ब्रह्म जगत् रचना के लिये स्वभाव करता है, जब वह चाहता है कि जगत् का बनाऊँ तो वह जगत् का निमित्त कारण कहलाता है और जब वह अपनी उपाधि माया को प्रधान बनाता है तब वह उसका उपादान कारण कहलाता है।