हरिशंकर आदेश की सप्तशतियों में प्रकृति-चित्रण | Original Article
प्रकृति अनादिकाल से मानव की सहचरी रही है वर्तमान में भी है एवं अनन्त काल तक मानव एवं प्रकृति का अन्योन्याभय सम्बन्ध अविराम गति से चलता रहेगा। साहित्य समाज का दर्पण है। काव्य साहित्य का संकुचित रूप है जो मानव की सर्जना है। काव्य का सामान्य अर्थ कविता होता है साहित्यदर्पणकार आचार्य विश्वनाथ ने काव्य को परिभाषित करते हुए लिखा है – वाक्य रसात्मकं काव्यम् ।12 अर्थात् रसमय वाक्य को ही काव्य कहते हैं। जिसके अध्ययन या श्रवण से अथवा अध्यापन से आनन्दानुभूति होती है। काव्य से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। साधु काव्य कीर्ति एवं प्रीति दायक होता है।