Article Details

रामचरितमानस में वर्णित वनस्पतियों के औषधीय तथा अन्य बहुपयोगी गुण | Original Article

Navita Rani*, Govind Dwivedi, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

प्रकृति और मनुष्य का सम्बन्ध संसार के आरम्भ से अक्षुण्ण ओर अखंड बना हुआ है। भारतीय सन्दर्भ से देखें तो वैदिक संस्कृति में प्रकृति को ही ईश्वर प्रदत्त मानकर उनके मंत्रोचार का विधान प्राप्त होता है, भारतीय संस्कृति में वनस्पतियों का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है। जहाँ पश्चिमी वैज्ञानिकों ने 'Man and the Environment' की परिकल्पना को आधार बनाकर प्रकृति व मनुष्य को अलग-अलग मानकर उनके सम्बन्धों की व्याख्या की है, वहीं भारतीय परम्परा में मनुष्य सदैव ही उस प्रकृति का अंश माना गया है, वह प्रकृति की उत्कृष्ट रचना अवश्य है, किन्तु प्रकृति से उत्कृष्ट नहीं।