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शिवदान सिंह चौहान के आलोचना विवेचन में साहित्य का सौन्दर्य और सामाजिकता | Original Article

Rajesh Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

साहित्य की रचना संबंधी उद्देश्य को स्थूलतः तीन वर्गों में रखा जा सकता है- पहला आनंदवादी, दूसरा नैतिकतावादी और तीसरा यथार्थवादी या सौन्दर्यवादी। इस तरह कला के तीन उद्देश्य हुए- कला आनंदवादी दृष्टिकोण से सुख के लिए होती है, नैतिकतावादी दृष्टिकोण से सामाजिक सत्य एवं मानवीय मूल्यों की शिक्षा देने के लिए होती है और यथार्थवादी दृष्टिकोण से कला सौन्दर्य की अनुभूति के लिए होती है।