सूरकाव्य के पात्रों में विचारपरकता | Original Article
सूर सागर में अनेक पात्रों का प्रसंग मिलता है। लगभग ये पात्र श्रीमद्भागवत् में भी मिलते है। सूर सागर में परम्परागत पात्रों और लोक पात्रों का भी समावेश हुआ है। मुख्यरूप से ये पात्र दो प्रकार की विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते है। जैसा कि भगवत गीता में कहा गया है कि दो प्रकार की सम्पदाएं विद्यमान है। परस्पर दोनों की विचारधाराओं का भी टकराव होता है। एक दैवी सम्पदा दूसरी आसुरी सम्पदा है।