Article Details

भाषा तथा संस्कार संचार के लिए अमृत | Original Article

Deepak Rathee*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

हम अपने दैनिक जीवन में भाषा को संचार के पर्याय के रूप में पाते हैं। किन्तु भाषा संचार का एकमात्र साधन नहीं है। हम शारीरिक चेष्टाओं, मुखमुद्राओं एवं सहज वाचिक उत्तेजनाओं के द्वारा भी अपने विचारों एवं भावों को संचारित कर सकते हैं। संचार की ये विधियाँ भाषा से भी पुरानी तथा आज भी हमारे व्यवहार में प्रचलित हैं। जब व्यक्ति अपनी बात या विचार बोलकर नहीं कह पाता तो उसको इशारों की मदद लेनी पड़ती है। इसी के साथ यह भी माना गया है कि भाषा से कही गई बात की अपेक्षा इशारों को अधिक विश्वसनीय माना जाता है।