अन्तर्द्न्दों का शमन करता है हास्य-व्यंग काव्य | Original Article
आज का मनुष्य अन्तर्द्वन्दों से घिरा हुआ है वह मुक्ति पाना चाहता है लेकिन कोई रास्ता दिखाई देता