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तलाकशुदा महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक और मानसिक स्थिति का विश्लेषण | Original Article

डॉ. नन्द किशोर कुमावत*, चित्रा चन्द्रावत, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

आधुनिक भारतीय समाज में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की रोजगार दर बढ़ रही है। तलाक की दर महिलाओं के रोजगार की दर के समानांतर बढ़ रही है। शहरी क्षेत्र में महिला रोजगार दर अधिक है और ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्रों में तलाक की दर भी अधिक है। तलाकशुदा शब्द अपने आप में अपमानजनक और दर्दनाक है। बढ़ती तलाक दर से अकेलापन बढ़ सकता है और अकेलापन आत्महत्या दर बढ़ा सकता है। आधुनिक दुनिया में समाज के हर वर्ग की सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकार की बात तो सभी करते हैं, लेकिन कर्तव्य की बात कोई नहीं करता। मानव सभ्यता के सभी चरणों में तलाक एक सामाजिक बुराई के रूप में देखा गया। दूसरी ओर, आधुनिक समाज में शिक्षित और अशिक्षित दोनों वर्ग अभी भी तलाक को एक सामाजिक बुराई के रूप में देखते हैं। वर्तमान अध्ययन द्वितीयक व प्राथमिक तथ्यों के आधार पर तलाक के कारणों और परिणामों को जानने का प्रयास किया गया है।