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आधुनिक काल की हिन्दी भाषा का साहित्य एवं इतिहास | Original Article

अंजलि श्योकंद*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

हिन्दी साहित्य का आधुनिक काल 'भारतीय इतिहास' के बदलते हुए स्वरूप से काफ़ी प्रभावित था। 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव भी साहित्य में आ गया था। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था।भारतेंदु एवं उनके मंडल ने साहित्य को रीति प्रवृत्तियों के घेरे से बाहर निकाल कर जनता से जोड़ा।हिन्दी साहित्य पर यदि दृष्टिदृश्य में विचार किया जाता है तो स्पष्ट होता है कि हिन्दी साहित्य का इतिहास विशद रूप से प्राचीन है। सुप्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक डॉ.हरदेव बाहरी शब्दों में, हिन्दी साहित्य का इतिहास वस्तुतः वैदिक काल से प्रारम्भ होता है।हिंदी साहित्य के गद्य लेखकों में भारतेंदु हरीशचंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल और श्याम सुंदर दास प्रमुख हैं। जय शंकर प्रसाद, मैथलीशरण गुप्त, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह 'दिनकर' और हरिबंस राय 'बच्चन' ने हिंदी कविता के विकास में महान योगदान दिया।