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परसाई जी के साहित्य में राजनीतिक व्यंग | Original Article

राजेन्द्र कुमार पिवहरे*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

परसाई जी हिंदी साहित्य जगत के महान व्यंगकारों एवं प्रसिद्ध लेखकों में से एक थे। व्यंग्य को हिंदी साहित्य में एक विधा के रूप में पहचान दिलाने वाले परसाई ने व्यंग्य को मनोरंजन की पुरानी एवं परंपरागत परिधि से बाहर निकालकर समाज कल्याण से जोड़कर प्रस्तुत किया। इनके माध्यम से उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार और शोषण पर व्यंग्य किए जो आज भी प्रासंगिक हैं। हालांकि, उन्होंने कहानी, उपन्यास और संस्मरण भी लिखे, लेकिन उन्हें उनके व्यंग्य के जरिए किए जाने वाले तीखे प्रहार के लिए अधिक जाना जाता है।परसाई जी ने सामाजिक रूड़ियों, राजनीतिक विडम्बनाओं तथा सामयिक समस्याओं पर व्यंग्य किया है और यथेष्ट कीर्ति पाई है। परसाईजी एक सफल व्यंकग्कांर हैं। वे व्यंपग्यय के अनुरूप ही भाषा लिखने में कुशल हैं। इनकी रचनाओं में भाषा के बोलचाल के शब्दों , तत्स म शब्दोंं तथा विदेशी भाषाओं के शब्दोंे का चयन भी उच्चन कोटि का है।