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समाज की सामाजिक स्थिति और उसका अनुकूलन: कबीर दास के साहित्य में | Original Article

Lalithamma M.*, Okendra ., in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

आर्यों के धार्मिक विभाजन केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन और चार्वाक तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि 'कुंभर' नाई, धोबी, चमार आदि तक भी फैले हुए थे। नौकरियों, व्यवसायों और आचरण की कई जटिल समस्याओं ने वर्ग निर्माण में बहुत योगदान दिया। विभिन्न प्रकार की 'साधना' भी नई जातियों और वर्गों में विकसित हुई। इस प्रकार, हम देखते हैं कि कबीर के समाज में कई वर्गीकरण थे, समाज धर्म विचार, जाति, आश्रम, धन, पद, नैतिक संहिता और आचरण, जो आने वाली आलोचना से मान्यता बदल गई।