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विद्यालय वातावरण व मानसिक स्वास्थ्य की प्रभावशीलता | Original Article

Maya Devi*, Savita Gupta, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

मनुष्य हमेशा एक ऐसे सामाजिक वातावरण में रहता है, जो न केवल व्यक्ति की संरचना को बदलता है या उसे तथ्यों को पहचानने के लिए मजबूर करता है। बल्कि उसे संकेतों की एक ऐसी रेडीमेड प्रणाली भी प्रदान करता है। यह उस पर दायित्वों की एक श्रृंखला लगाता है। दो वातावरण घर और स्कूल बच्चे के जीवन में एक स्थान बनाते हैं। दोनों के बीच एक अद्वितीय जुडाव मौजूद है। सागर और कपलान (1972) के अनुसार परिवार अपने स्वभाव से ही सामाजिक जैविक-इकाई है। जो व्यक्ति के व्यवहार के विकास और निकटता पर सबसे अधिक प्रभाव डालती है। स्कूल बाल विकास की प्रक्रिया मंे सबसे महत्वपूर्ण अनुभव हैै जब बच्चा स्कूल के क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसे सामाजीकरण और संज्ञानात्मक विकास के संदर्भ में नये अवसरों के साथ प्रस्तुत किया जाता है। ये अवसर अलग-अलग स्कूलों में अलग-अलग उपायों में प्रदान किये जाते हैं। छात्रों के संज्ञानात्मक और भावात्मक व्यवहार पर इसका सीधा प्रभाव पड सकता है। इस प्रभाव की प्रकृति को समझा जा सकता हैै। यदि हम अपनी शोध ऊर्जा को उन पर्यावरणीय चरों का पता लगाने के लिए समर्पित करते है जो प्रत्येक बच्चे की क्षमता के इश्टतम विकास को बढ़ावा देने में सबसे प्रभावी हो। किसी भी राष्ट्र के योजनाबद्ध तकनीकी विकास में शिक्षा का बुनियादी महत्व है। बालकों के सर्वागिंण विकास में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। शिक्षा शिक्षार्थियों को न केवन शैक्षिक ज्ञान प्रदान करती है बल्कि उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखारती है। शिक्षा वह निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जो मानवीय आंतरिक क्षमताओं का विकास समग्र रूप से करती है। शिक्षा का लक्ष्य जागरूक एवं चेतन व्यक्ति व समाज का विकास करना है। शिक्षा वैयक्तिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय प्रगति के लिए एक अपरिहार्य आवश्यकता है।