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भारत में ग्रामीण एवं नगरीय स्वच्छता | Original Article

डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारत सरकार की पहली पंचवर्षीय योजना के एक भाग के रूप में वर्ष 1954 में ग्रामीण भारत के लिए पहला स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसके उपरान्त 1986 में केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, 1999 में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान तथा 2012 में निर्मल भारत अभियान आरम्भ किया गया। समग्र स्वच्छता प्राप्ति के प्रयासों में सार्थक रूप से तेजी लाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री ने दिनांक 02 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिषन आरम्भ किया। इस मिषन का उद्देश्य 02 अक्टूबर, 2019 तक अर्थात् महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती पर श्रद्धाँजलि के रूप में, खुले में शौच को प्रथा समाप्त करके स्वच्छ भारत को बनाना था। स्वच्छ भारत मिशन के दो उपमिशन हैं, पेयजल एवं स्वच्छत विभाग के अन्तर्गत स्वच्छ भारत मिषन (ग्रामीण) और आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) द्वारा इस समग्र मिशन का समन्वय किया जाता है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अनुसार 2014-2015 में 43.7 ग्रामीण परिवारों को शौचालय उपलब्ध था जो कि 2019-2020 में बढ़कर 10 हो गया। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) प्रथम चरण के उद्देश्यों की प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने इस कार्यक्रम के चरण-द्वितीय को अनुमोदन प्रदान किया है। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) का उद्देश्य देश के शहरों को खुले में शौच से मुक्त करना और देश के 4000 से अधिक शहरों में नगर पालिका ठोस अपशिष्ट का 100 वैज्ञानिक प्रबन्धन हासिल करना था। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के पहले चरण के अन्तर्गत 4324 शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया है। स्वच्छता के प्रति जागरूकता अब पूरे देश में फैल चुकी है। अक्टूबर, 2021 को प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन -शहरी 2.00 शुरू किया। जिसका उद्देश्य हमारे सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ बनाना है। सभी शहरों में ठोस कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण शुरू किया जायेगा। शहरों में अपशिष्ट जल के प्रबंधन पर जोर दिया जायेगा। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.00 के लिए कुल 1,41,600 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय तय किया गया।