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भारत में प्राथमिक शिक्षा का महत्व एवं सर्व शिक्षा अभियान की प्रभावशीलता | Original Article

Sarvesh Kumar Tripathi*, Bela Mery Joseph, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

शिक्षा एक आवश्यक मानवीय गुण है। शिक्षा से ही मनुष्य मनुष्य बनता है। वह वही है जो शिक्षा उसे बनाती है। यह ठीक ही कहा गया है कि शिक्षा के बिना, मनुष्य एक शानदार दास है, जिसका कारण है बर्बरता। सभ्य समाज के अस्तित्व के लिए शिक्षा आवश्यक है। मनुष्य को केवल उसके जैविक अस्तित्व के संदर्भ में कल्पना नहीं की जा सकती है। शिक्षा मनुष्य के सामाजिक पहलू पर ध्यान केंद्रित करती है। सर्व शिक्षा अभियान ,एक भारतीय सरकार का कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए समयबद्ध तरीके से है, जैसा कि अनिवार्य है 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने वाले भारतीय संविधान के 86 वें संशोधन (2001 में संख्या में 205 मिलियन होने का अनुमान) एक मौलिक अधिकार है।