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अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों पर मिड डे मील कार्यक्रम के संचालन के लिए स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी | Original Article

Ashish Jyotishi*, Yuti Singh, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

प्राथमिक शिक्षा किसी भी शैक्षिक भवन की नींव होती है। शिक्षा का संबंध केवल व्यक्ति से ही नहीं पूरे समाज से है। सभी सभ्य समाजों ने इसे अनिवार्य कर दिया। माध्यमिक शिक्षा विकास का सूचक है। माध्यमिक शिक्षा अध्ययन का एक अंतःविषय क्षेत्र है। सामाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों से शैक्षिक अनुसंधान में योगदान में वृद्धि हुई है। हालांकि माध्यमिक शिक्षा में सीमित शोध विशेष रूप से स्कूल में चल रही योजना के मूल्यांकन पर शिक्षा विभाग के बाहर लिया जाता है। इस अध्ययन में, माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के नामांकन, ड्रॉपआउट, प्रतिधारण और उपलब्धि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) अर्थात् मध्याह्न भोजन योजना संभावनाओं और चुनौतियों दोनों के लिए लाया है। जब कोई योजना शुरू की गई, तो प्रशासकों, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों की शिकायतें अक्सर सुनी जाती हैं। चूंकि ये चुनौतियाँ महत्वपूर्ण कारक हैं जिनमें योजनाओं की प्रभावशीलता में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाधा डालने की बहुत अधिक क्षमता है, इसलिए उन्हें अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए योजना का सही ढंग से मूल्यांकन और परिशोधन करना होगा।उपयुक्त, सक्रिय और भरोसेमंद स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), अधिमानतः महिला स्वयं सहायता समूह, जहां भी उपलब्ध हो, को स्कूल के निरीक्षकों द्वारा अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र के तहत एमडीएम कार्यक्रम चलाने के लिए लगाया जाना चाहिए।