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पुस्तकालय सामग्री के संरक्षण और परिरक्षण का अध्ययन | Original Article

Shashi Prabha Sahu*, Pradeep Kumar Dubey, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

प्रस्तुत अध्ययन में यह पाया गया कि पुस्तकालयों में दुर्लभ सामग्री हमारे समाज की संस्कृति और विरासत को दर्शाती है। भावी पीढ़ी के लिए सूचना के इस धन के संरक्षण और परिरक्षण पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है। कई विद्वानों और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इन संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया है। न केवल इन दुर्लभ सामग्रियों को संरक्षित और संरक्षित करने के लिए बल्कि सूचना के इस धन तक बेहतर पहुंच की सुविधा के लिए नई तकनीकों और विधियों की जांच की जा रही है और उन्हें अपनाया जा रहा है। संबंधित पुस्तकालयों में दुर्लभ दस्तावेजों की उपलब्धता जानने के लिए बनाए गए उपकरणों में कार्ड कैटलॉग, कम्प्यूटरीकृत कैटलॉग और हस्तलिपियां की वर्णनात्मक सूची शामिल है। इस प्रकार, लगभग सभी 9 पुस्तकालयों में उपलब्ध दुर्लभ संग्रह का बड़ा हिस्सा महत्वपूर्ण, उपयोगी पाया गया है और उचित संरक्षण की आवश्यकता है। इसलिए, अध्ययन का निष्कर्ष है कि एक राज्य संग्रह स्थापित करने और संसाधनों के इस धन को एक साथ लाने की अधिक आवश्यकता है। साथ ही इन दुर्लभ सामग्रियों को डिजिटाइज़ करने और इन संसाधनों की एक डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने की भी आवश्यकता है, ताकि उनमें रुचि रखने वाले सभी लोगों को सूचना के इस धन तक बेहतर पहुंच की सुविधा मिल सके। इस प्रकार यह अनुशंसा की जाती है कि नीति निर्माता इस पर ध्यान दें और पूरे राज्य में विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध दुर्लभ सामग्रियों के संरक्षण और परिरक्षण के लिए राज्य नीति शुरू करें।