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जे. कृष्णमूर्ति के शैक्षिक विचारों का नव भारतीय समाज के निर्माण में आवश्यकता एवं उपादेयता | Original Article

अशोक कुमार*, डॉ. सुनिता यादव, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

जे. कृष्णमूर्ति के शैक्षिक विचारों और शिक्षा के स्वरूप की संकल्पना अन्य समकालीन शिक्षा शास्त्रियों से बिल्कुल भिन्न है। यदि उनकी शिक्षा प्रणाली के कुछ विशिष्टि अंषों का उपयोग हम वर्तमान शिक्षा में करें तो आगे आने वाली पीढ़ी में नव मानवतावादी एवं परिवर्तनकारी दृष्टि विकसित होगी और एक नवीन भारतीय समाज का निर्माण किया जाना सम्भव हो सकेगा। जे. कृष्णमूर्ति ने भी शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य बताये है-जीविकोपार्जन का उद्देश्य, बौद्धिक उद्देश्य, सांस्कृतिक उद्देश्य, जीवन की पूर्णता का उद्देश्य, सामाजिक उद्देश्य, सृजनात्मकता का उद्देश्य, व्यवसायिक उद्देश्य, संवेदनशीलता का उद्देश्य, वैज्ञानिकता का उद्देश्य, शारीरिक विकास, मानसिक विकास, आध्यात्मिक मूल्यों का विकास आदि। प्रस्तुत अध्ययन के अन्तर्गत जे.कृष्णमूर्ति जी के शैक्षिक विचारों की विद्यालय के लिए उपादेयता, शिक्षक के लिए उपादेयता, विद्यार्थी के लिए उपादेयता, शैक्षिक पाठ्यक्रम के लिए उपादेयता, सर्वांगीण विकास के लिए उपादेयता आदि पर प्रकाश डाला गया है, जिससे की उनके सम्पूर्ण शैक्षिक विचारों को स्पष्ट किया जा सके। उपरोक्त सुझाए गए जे.कृष्णमूर्ति के शैक्षिक चिन्तन के विभिन्न आयामों को स्वीकार करते हुए वास्तविक जीवन और सामाजिक जीवन में लागू किया जाए तो वर्तमान शैक्षिक परिदृष्य और नव-भारतीय समाज के निर्माण में उक्त शैक्षिक उपादेयता मील का पत्थर साबित होगा।