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उच्च माध्यमिक स्तर पर गृह विज्ञान शिक्षण की अवधारणा, प्रकृति, उद्देश्य, महत्व तथा उपयोगिता का अध्ययन | Original Article

Rani Mahto*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

गृह विज्ञान वस्तुतः गृह अथवा परिवार से सम्बन्धित वह शास्त्र है जो गृहकला, गृह प्रबन्ध एवं सज्जा से सम्बन्धित घरेलू कला, घरेलू अर्थशास्त्र तथा घरेलू प्रशासन की विभिन्न समस्याओं व जटिलताओं का निराकरण करने का सफल प्रयास करता है। यह निर्देशन का विशिष्ट विषय है जिसमें घर परिवार द्वारा व्यक्तियों तथा समूहों द्वारा पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन को समुन्नत बनाने का प्रयास किया जाता है। संकुचित अर्थ में गृह विज्ञान, गृह परिवार, समाज, स्वास्थ्य, खान-पान, आचार-व्यवहार, उपचार आदि की व्यावहारिक समस्याओं के विशिष्ट सन्दर्भ में आधारीय विज्ञानों का अध्ययन मात्र है। भारत शहरों तथा गाँवों का देश है। जहाँ अब 40 लोग शहरों में निवास करते हैं वहीं 60 लोग गाँवों में निवास करते हैं। शिक्षा की दृष्टि से शहरों में निवास करने वाले लोगों के बच्चे शहरी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करते हैं तो गाँव में रहने वाले लोगों के बच्चे ग्रामीण विद्यालयों में अध्ययरनत होते हैं। सुविधा की दृष्टि से शहरी विद्यालयों के संसाधनों की तुलना में ग्रामीण विद्यालयों की स्थिति अच्छी नहीं होती। इसका प्रभाव विद्यार्थियों की निष्पित्ति पर पड़ता है। शहरों के बच्चे ट्यूशन, कोचिंग इत्यादि के द्वारा विद्यालयों में शिक्षा के समय जिन चीजों को नहीं समझ पाते हैं, उनको घर पर समझ लेते हैं जबकि गाँव के बच्चे विद्यालयों की पढ़ाई पर ही पूर्णतः आश्रित होते हैं। अतः इस अध्ययन हेतु ग्रामीण एवं शहरी उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों को चुना गया है। अतः आवश्यक हो जाता है कि विद्यार्थियों के गृह विज्ञान के वास्तविक ज्ञान में बृद्धि एवं ग्रामीण उच्च माध्यमिक विद्यालयों में गृह विज्ञान शिक्षण को प्रभावी बनाने हेतु वर्तमान स्थिति का पता लगाया जाये, ग्रामीण एवं शहरी स्तर के गृह विज्ञान शिक्षण व्यवस्था का वास्तविक स्थिति का जायजा लिया जाये। इसके बाद ही गृह विज्ञान शिक्षण को उन्नत बनाने हेतु कोई उपाय खोजा जा सकता है। किसी भी समस्या का उचित समाधान, समस्या की वर्तमान स्थिति का पता लगाने के पश्चात् ही किया जा सकता है। अतः ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर गृह विज्ञान शिक्षण को समुन्नत बनाने हेतु इस अध्ययन की महत्ती आवश्यकता है।