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मन्नू भंडारी के कथा-साहित्य में नारी चित्रण पर एक अध्ययन | Original Article

Deepak Kumar*, Anand Kumar Ray, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

स्त्री विकास-क्रम की आजादी के बाद स्थिति पर यदि दृष्टि डालें तो स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् की नारी जागरण की गति आश्चर्य में डाल देने वाली है। श्री मन्नू भंडारी के विचार दर्शनीय हैं, “आज की शिक्षित नारी प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रही है। शिक्षा, चिकित्सा, तकनीकी, विज्ञान, कल, कविता, साहित्य-सृजन, पर्वतारोहण, क्रीड़ा-जगत, पुलिस, सेना का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहाँ नारी का प्रवेश न होता हो, किन्तु आगे यह कहना भी ज़रूरी समझते हैं कि “कि इस पुरूष-प्रधान समाज में आज भी नारी को बराबर का दर्जा देने में सुगबुगाहट है। यही नहीं समाज की रूढ़िवादी, परम्परावादी एवं कम पढ़ी-लिखी नारियों के विचारों में कुछ विशेष परिवर्तन आज भी नजर नहीं आता है। मन्नू भंडारी का उपन्यास ‘समय सरगम’ आधुनिक नारी के सन्दर्भ में विशेष महत्व रखता है। ईशान व आरण्या दो ही प्रमुख पात्र है। आधुनिक नारी के रूप में मन्नू भंडारी के नारी-पात्रों में सर्वाधिक आधुनिक है। यह एक साधारण मान्यता है कि भारतीय स्त्री अपने प्रेम का प्रस्ताव आगे बढ़कर नहीं करती है, अपितु प्रस्ताव का इंतजार करती है।