ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक विकास में सामाजिक पुस्तकालय का योगदान | Original Article
आर्थिक विकास एक सापेक्षिक शब्द है तथा इसका संबंध एक समय विशेष से न होकर दीर्घकालीन परिवर्तन से है। आर्थिक विकास एक ऐसी निरंतर व अनवरत प्रक्रिया है जिसके परिणाम स्वरुप किसी भी देश में समस्त उत्पादन के साधनों का कुशलता पूर्वक प्रयोग होता है अर्थात राष्ट्रीय आय और साथ ही साथ प्रति व्यक्ति आय में दीर्घकालीन वृध्दि होती है परिणाम स्वरुप उत्पादन स्तर बढ़ता है जिससे देश का चहुंमुखी विकास उत्तरोत्तर बढ़ता है। दूसरे अर्थो में विकास का अर्थ केवल आर्थिक वृध्दि ही नही है बल्कि उसके साथ ही सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्थागत तथा आर्थिक परिवर्तन को सम्मिलित किया जाता है। आर्थिक विकास एक अर्थव्यवस्था के संरचनात्मक ढांचे में आए सम्पूर्ण परिवर्तन की ओर इंगित करता है जिससे हम अविकसित से अर्धविकसित और पुनः विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था के रुप में देखते है।